बौद्ध धर्माचा प्रसार करणारा तो मोग्गलिपुत्त (तिस्स) १स्थविर, संगीतीचें काम संपल्यावर भविष्यत्कालाचा विचार करून आणि मध्यदेशाबाहेर बौद्धधर्माची प्रतिष्ठा होणार आहे, हें लक्षांत आणून, कार्तिक मासांत त्या त्या स्थाविरानां त्या त्या ठिकाणीं पाठविता झाला.
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
(१- स्थविर ह्मणजे वृद्ध. संघांत प्रवेश करून १० वर्षें झाल्यावर भिक्षूस स्थविर ह्मणतात.)
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
थेरं कस्मीरगंधारं मज्झन्तिकमपेसयि।
अपेसेसि महादेवत्थेरं महिसमंडलं।।३।।
काश्मीर आणि गंधार ह्या देशांत (त्यानें) मज्झन्तिक नांवाच्या स्थविराला पाठविलें. महादेव स्थविराला महिषमंडळाला पाठविलें.
वनवासिं अपेसेसि थेरं रक्खितनामकं।
तथापरन्तकं योनधम्मरक्खितनामकं।।४।।
वनवासीला (त्यानें) रक्खित नांवाच्या स्थविरास पाठविलें. त्याचप्रमाणें अपरन्तकाला योनधम्मरक्खित नांवाच्या स्थविरास पाठविलें.
महारठ्ठं महाधम्मरक्खितत्थेरनामकं।
महारक्खितत्थेरं तु योनलोकमपेसयि।।५।।
महाराष्ट्रदेशांत (त्यानें) महाधम्मरक्खित नांवाच्या स्थविरास पाठविलें, आणि महारक्खित स्थविराला योन (यवन) लोक प्रदेशास पाठविलें.
पेसेसि मज्झिमं थेरं हिमवन्तपदेसकं।
सुवण्णभूमिं थेरे द्वे सोणमुत्तरमेवच।।६।।
मज्झिम स्थविराला (त्यानें हिमवंत (हिमालय) प्रदेशाला पाठविलें. सुवर्णभूमिला (ब्रह्मदेश?) सोण अणि उत्तर ह्या दोन स्थविरांना पाठविलें.
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
(१- स्थविर ह्मणजे वृद्ध. संघांत प्रवेश करून १० वर्षें झाल्यावर भिक्षूस स्थविर ह्मणतात.)
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
थेरं कस्मीरगंधारं मज्झन्तिकमपेसयि।
अपेसेसि महादेवत्थेरं महिसमंडलं।।३।।
काश्मीर आणि गंधार ह्या देशांत (त्यानें) मज्झन्तिक नांवाच्या स्थविराला पाठविलें. महादेव स्थविराला महिषमंडळाला पाठविलें.
वनवासिं अपेसेसि थेरं रक्खितनामकं।
तथापरन्तकं योनधम्मरक्खितनामकं।।४।।
वनवासीला (त्यानें) रक्खित नांवाच्या स्थविरास पाठविलें. त्याचप्रमाणें अपरन्तकाला योनधम्मरक्खित नांवाच्या स्थविरास पाठविलें.
महारठ्ठं महाधम्मरक्खितत्थेरनामकं।
महारक्खितत्थेरं तु योनलोकमपेसयि।।५।।
महाराष्ट्रदेशांत (त्यानें) महाधम्मरक्खित नांवाच्या स्थविरास पाठविलें, आणि महारक्खित स्थविराला योन (यवन) लोक प्रदेशास पाठविलें.
पेसेसि मज्झिमं थेरं हिमवन्तपदेसकं।
सुवण्णभूमिं थेरे द्वे सोणमुत्तरमेवच।।६।।
मज्झिम स्थविराला (त्यानें हिमवंत (हिमालय) प्रदेशाला पाठविलें. सुवर्णभूमिला (ब्रह्मदेश?) सोण अणि उत्तर ह्या दोन स्थविरांना पाठविलें.
आपण साहित्यिक आहात ? कृपया आपले साहित्य authors@bookstruckapp ह्या पत्त्यावर पाठवा किंवा इथे signup करून स्वतः प्रकाशित करा. अतिशय सोपे आहे.