प्रिये ! आई शरद लो वर!

प्रभिन्नाञ्जन दीप्ति से

अतिकान्तिमय है व्योम सारा

अरुण है बंधूक जैसी

वसुमती हो पुष्पभारा

कमलवन आच्छादित-

सरसी पुलकती है सदैव लो

कर नहीं देते समुत्सुक

रूप यह किसके हृदय को?
प्रिये ! आई शरद लो वर!
Please join our telegram group for more such stories and updates.telegram channel