लो प्रिये हेमन्त आया!

व्याप्त प्रचुर सुशालि धान्यों

से हुआ रमणीय सुन्दर

हिरनियों के झुण्ड से

शोभित हुआ अब अवनि प्रान्तर

अति मनोहर क्रौञ्च के

कलनाद से गुंजित मनोहर

दूर सीमान्तर ललित तक

एक जादू सा रिझाया,

शोभनीय सुडोल स्तन का

लो प्रिये हेमन्त आया!
Comments
आमच्या टेलिग्राम ग्रुप वर सभासद व्हा. इथे तुम्हाला इतर वाचक आणि लेखकांशी संवाद साधता येईल. telegram channel