देवी के ९ स्वरुप की इन ९ दिनों तक पूजा की जाती है |

पहले दिन-शैलपुत्री ,वह त्रिमूर्ति की मुख्य शक्ति हैं और वह हिमालय ( शैल – पर्वत ) की बेटी (पुत्री ) की तरह पैदा हुई थीं |

दूसरे दिन - ब्रह्मचारिणी , ये स्वरुप ख़ुशी और मोक्ष की तलाश में त्याग और तपस्या की अहमियत का प्रतीक है |

तीसरे दिन - चंद्रघंटा , एक १० हाथों वाली देवी की तरह दिखाया जाने वाला ये स्वरुप बुराई का विनाशक है और अपने हाथों में एक घंटे के आकार का चंद्रमा पकडे है |

चौथे दिन- कुष्मांडा , जिसके नाम का अर्थ है ऊष्मा का अंडा ऐसा माना जाता है की वह पूरे ब्रह्माण्ड की रचयिता हैं |

पांचवे दिन - स्कंदमाता – वह स्कन्द यानि कार्तिकेय की माँ और देवताओं की प्रमुख योद्धा हैं |

छठे दिन - कात्यायिनी , ऋषि कात्यायन की बेटी के रूप में वह दुर्गा का एक विकराल रूप हैं |

सांतवे दिन -. कालरात्रि , काल की मृत्यु को दर्शाने वाली वह जिंदगी के एक और पहलु मौत का प्रतीक है| वह दुर्गा का  सबसे भयानक और वहशी रूप है |

आंठ्वे दिन - महा गौरी , कह शांति का प्रतीक है और अपने भक्तों को ज्ञान प्रदान करती है |

नौंवे दिन  -सिद्धिरात्रि , सब इच्छाओं को पूर्ण कर ,वर देने वाली |


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