"हम अपनी चित्रांगदा के बिना असहाय हैं," उन्होंने उत्तर दिया। वह सदा हमारी और हमारी सम्पदा की रक्षा करती आई है। जब कभी गांव में बाघ आ जाता तो वह उसे भगाने के लिए वहां तैयार मिलती। यदि डाकू और लुटेरे हम पर हमला करते तो हमारा बचाव करने के लिए वह तुरन्त आगे आ जाती। चित्रांगदा कोई साधारण स्त्री नहीं है। हमारे लिए तो वह देवी है। हम उसकी पूजा करते हैं।"

"जिस स्त्री की आप बात कर रहे हैं मैं उसके बारे में जानने और उससे मिलने के लिए उत्सुक हूँ|” अर्जुन ने कहा, “वह कहां चली गई है ?"

"हमें कुछ पता नहीं,” किसानों ने उत्तर दिया। “यदि हम जानते होते तो हम उसी के पास जाते। लेकिन एक वर्ष हुआ वह गायब हो गई और उसके बाद उसे किसी ने नहीं देखा। उसके पिता वृद्ध राजा ने उसे ढूंढने की भरसक कोशिश की है। लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। अब उनका दिल टूट चुका है और वह अपने कमरे में से भी बाहर नहीं निकलते। अनेक दल उसकी खोज में इधर-उधर गये हैं।”

"अजीब बात है...!" अर्जुन बोला, “लेकिन मैं आपकी परेशानी समझता हूँ और आपकी सहायता करने के लिए तैयार हूँ। मैं पांडव योद्धा अर्जुन हूँ। मैं आपके साथ चलकर आपके शत्रुओं से लगा। मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं आपकी रक्षा करूंगा।"

"हम सचमुच आपके बहुत आभारी हैं, लेकिन क्या आप हमारी चित्रांगदा के बारे में कुछ जानते हैं ?" चिन्तित किसानों ने पूछा।

"नहीं, मैं कुछ नहीं जानता," अर्जुन बोला, “यहां तो केवल मेरी सुन्दर पत्नी है। वह दुनिया में सबसे सुन्दर स्त्री है। पिछले एक वर्ष से हम आनन्दपूर्वक यहां रह रहे हैं। अब मुझे घोड़े पर चढ़कर युद्ध करना बहुत अच्छा लगेगा जैसा कि मैं सदा करता आया हूँ। काश, जब मैं तुम्हारे शत्रुओं से लड़ने जाऊं मेरे साथ तुम्हारी चित्रांगदा जैसा कोई व्यक्ति हो।"

"आर्य, यदि आपकी इच्छा हो तो वह आपके साथ चल सकती है|" पीछे से एक भारी आवाज़ आई।

"यह कौन है ?" मुड़ते हुए अर्जुन चिल्लाया।“यह तो मेरी जया की आवाज़ नहीं है।"

"मैं चित्रांगदा हूँ,” उसके पास आते हुए लड़की ने उत्तर दिया।

Listen to auto generated audio of this chapter
Comments
आमच्या टेलिग्राम ग्रुप वर सभासद व्हा. इथे तुम्हाला इतर वाचक आणि लेखकांशी संवाद साधता येईल. telegram channel