प्राचीन काल में लोग चन्दन और गुलाल से ही होली खेलते थे। आज गुलाल, प्राकृतिक रंगों के के साथ साथ रासायनिक रंगों का प्रचलन बढ़ गया है | ये रंग स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक हैं जो त्वचा के साथ साथ आँखों पर भी बुरा आसर करते हैं । भांग - ठंडाई की जगह नशेबाजी और लोक संगीत की जगह फ़िल्मी गानों का प्रचलन आधुनिक समय में अत्यधिक बढ़ गया हैं। जगह जगह शराब के नशे में लोग मित्रों से मिलने के लिए निकलते हैं और दुर्घटनाओ का शिकार हो जाते हैं ।