संपूर्ण धरती पर शिव का ही धर्म प्रचलित है : आदिदेव शिव और गुरु दत्तात्रेय को धर्म और योग का जनक माना गया है। शिव के 7 शिष्यों ने ही शिव के ज्ञान और धर्म को संपूर्ण धरती पर प्रचारित किया।
 
कहते हैं कि शिव ने ज्ञानयोग की पहली शिक्षा अपनी पत्नी पार्वती को दी थी। दूसरी शिक्षा जो योग की थी, उन्होंने केदारनाथ में कांति सरोवर के तट पर अपने पहले 7 शिष्यों को दी थी। उन्हें ही सप्तऋषि कहा ‍गया है जिन्होंने योग के अलग-अलग आयाम बताए और ये सभी आयाम योग के 7 मूल स्वरूप हो गए। आज भी योग के ये 7 विशिष्ट स्वरूप मौजूद हैं। इन सप्त ऋषियों को विश्व की अलग-अलग दिशाओं में भेजा गया जिससे वे योग के अपने ज्ञान को लोगों तक पहुंचा सकें।
 
कहते हैं कि एक को मध्य एशिया, एक को मध्य-पूर्व एशिया व उत्तरी अफ्रीका, एक को दक्षिण अमेरिका, एक को हिमालय के निचले क्षेत्र में, एक ऋषि को पूर्वी एशिया, एक को दक्षिण में भारतीय उपमहाद्वीप में भेजा गया और एक आदि योगी के साथ वहीं रह गया। अगर उन इलाकों की संस्कृतियों पर गौर किया जाए तो आज भी इन ऋषियों के योगदान के चिह्न आपको वहां दिखाई दे जाएंगे।

आज से 15 से 20 हजार वर्ष पूर्व वराह काल की शुरुआत में जब देवी-देवताओं ने धरती पर कदम रखे थे, तब उस काल में धरती हिमयुग की चपेट में थी। इस दौरान भगवान शंकर ने धरती के मुख्य  केंद्र कैलाश को अपना निवास स्थान बनाया।

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