अगले दिन सुबह जब महर्षि कण्व घूमने के लिए निकले तो उन्होंने बच्ची को देखा। वे इस सुन्दर बच्ची को देखकर बड़े चकित हुए। उन्होंने ध्यान लगाकर पता लगा लिया कि वास्तव में बात है और उसके माता-पिता ने उसे क्यों त्याग दिया है।

वे उसे आश्रम ले गये और माता गौतमी को सौंप दिया और बोले, “यह विश्वामित्र और इन्द्र सभा की एक अप्सरा मेनका की बेटी है। बड़ी होकर एक दिन यह बहुत ही रूपवती और महत्वपूर्ण महिला होगी। कृपा करके इसकी देखभाल सावधानी से करियेगा।"

महर्षि कण्व ने उसका नाम शकुन्तला रखा क्योंकि उनको मिलने से पहले वन में उस नन्ही बच्ची की देखभाल 'शकुन्त' अर्थात् पक्षी कर रहे थे।

महर्षि कण्व और माता गौतमी का प्रेम पाकर शकुन्तला कमल की तरह खिल उठी। प्रति दिन वह अधिक सुन्दर होती जाती थी। अनुसूया और प्रियंवदा सदा उसके साथ रहनेवाली सखियां थीं। जल्दी ही ऐसा लगने लगा जैसे तपोवन का जीवन वही है। सभी उसको बहुत प्यार करते थे। तपस्वी लड़के उसके भाइयों की तरह थे। यहां तक कि पशु-पक्षी, लताएं और पेड़ भी उससे प्रेम करते थे। आश्रम में पालन-पोषण होने पर भी शकुन्तला में रानियों जैसी भव्यता और तेज था। उसकी सखियों को लगता कि वह रानी होने के योग्य है। 

आश्रम का बहुत व्यस्तता का था। सबके लिये कुछ न कुछ करने को था। माता गौतमी ने शकुन्तला और उसकी सखियों को, आश्रम में आने वाले अतिथियों का स्वागत करने का भार सौंपा था। महर्षि कण्व का यश दूर दूर तक फैला हुआ था। बहुत से लोग जो उनका दर्शन करने के लिए आते थे, आश्रम में एक दो दिन जरूर ठहरते थे। लड़कियों का दूसरा काम था आश्रम के पशु-पक्षियों की देखभाल करना। उन्हें पेड़ पौधों और लताओं में पानी भी देना होता था। उनके साथ वे जीवधारियों जैसा व्यवहार करती थीं।

उन पेड़- पौधों और पशु-पक्षियों में कुछ ऐसे भी थे जो शकुन्तला के बहुत चहेते थे। वह उनका विशेष ध्यान रखती थी। एक हिरण शावक था जिसे उसने बचपन से ही पाला था। उसे वह बहुत ही प्यार करती थी। जहां वह जाती वह शावक उसके पीछे पीछे जाता और उसे ज़रा भी आराम न लेने देता। उसकी शैता- नियों से वह हर वक्त परेशान रहती। जब शकुन्तला बड़ी हो गई तो महर्षि कण्व ने सोचा कि अब उसके लिए योग्य वर की खोज करने का समय आ गया है।

शायद इसी विचार के कारण उन्होंने एक लम्बी तीर्थयात्रा पर जाने का निश्चय किया। आश्रम की देखभाल का भार माता गौतमी को सौंपते हुए उन्होंने उनसे कहा कि वह शकुन्तला का विशेष रूप से ध्यान रखें।

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