इस संदर्भ में एक कथा है कि एक बार ब्रह्मा और विष्णु में श्रेष्ठता को लेकर विवाद होने लगा। दोनों निर्णय के लिए भगवान शिव के पास गए। विवाद का हल निकालने के लिए भगवान शिव साकार से निराकार रूप में प्रकट हुए। शिव का निराकार रूप अग्नि स्तंभ के रूप में नजर आ रहा था।
 
ब्रह्मा और विष्णु दोनों इसके आदि और अंत का पता लगाने के लिए चल पड़े। कई युग बीत गए, लेकिन इसके आदि और अंत का पता नहीं लगा। जिस स्थान पर यह घटना हुई, वह अरुणाचल के नाम से जाना जाता है।
 
ब्रह्मा और विष्णु को अपनी भूल का एहसास हुआ। भगवान शिव साकार रूप में प्रकट हुए और कहा कि आप दोनों ही बराबर हैं। इसके बाद शिव ने कहा कि पृथ्वी पर अपने ब्रह्म रूप का बोध कराने के लिए मैं लिंग रूप में प्रकट हुआ इसलिए अब पृथ्वी पर इसी रूप में मेरे परम ब्रह्म रूप की पूजा होगी। इसकी पूजा से मनुष्य को भोग और मोक्ष की प्राप्ति हो सकेगी। 

सबसे पहले रुद्र हुए। उन्हीं रुद्र का एक अवतार महेश का है। उन्हीं महेश को महादेव और शंकर कहते हैं। वे शिव अर्थात ब्रह्म के समान होने के कारण शिव कहलाए। हालांकि शिव उनका नाम नहीं है। रुद्रावतार में से एक भैरव है। शिव से भी बढ़कर सदाशिव की महिमा का वर्णन हमें सभी पुराणों में मिलता है।
 

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