समुद्र मंथन में दूसरे क्रम में निकली कामधेनु गाय । यह  अग्निहोत्र (यज्ञ) की सामग्री उत्पन्न करने वाली थी। इसलिए ब्रह्मवादी ऋषियों ने उसे ग्रहण कर लिया। कामधेनु प्रतीक है मन की निर्मलता की। क्योंकि विष निकल जाने के बाद ही मन निर्मल हो जाता है। ऐसी स्थिति में अपनी मंजिल  तक पहुंचना और भी आसान हो जाता है।
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