कृष्ण

भगवद गीता के लेखक से बड़ा शिक्षक कौन हो सकता है | जिंदगी जीने का तरीका बताने वाली किताब भगवद गीता की समय के साथ अहमियत कम नहीं हुई है |

कर्मण्येवाधिकारस्ते ,माँ फलेषु कदाचना 

माँ कर्म फल हेतुर भूर , माँ ते संगोस्तवकर्मणि 

तुम्हारा काम कर्म करना है , फल की इच्छा करना नहीं | इसलिए न तो फल को कभी अपना उद्देश्य न बनने दें और न ही नाकामी को अपना हथियार बनाएं |

गीता को जिंदगी , मृत्यु और कर्म के ऊपर लिखी गयी किताबों में से सर्वश्रेष्ठ माना गया है |लोगों ने गीता के अर्थ को समझ पाने में अपनी पूरी जिंदगी निकाल दी है और हकीकत में गीता और कृष्ण के दुनिया पर हुए प्रभाव को समझ पाना बेहद कठिन है |


Comments
आमच्या टेलिग्राम ग्रुप वर सभासद व्हा. इथे तुम्हाला इतर वाचक आणि लेखकांशी संवाद साधता येईल. telegram channel