द्रौपदी चीर हरण

जैसे हम सब जानते हैं युद्धिष्ठिर ने द्रौपदी को दुर्योधन के साथ शतरंज में हार दिया था | दुर्योधन ने फिर दुशासन को द्रौपदी को पकड़ खींच कर लाने को कहा | वहां आने पर दुर्योधन ने उसे द्रौपदी को निर्वस्त्र करने को कहा | द्रौपदी ने सबसे मदद मांगी – अपने पति , भीष्म पितामह , राजा धृतराष्ट्र लेकिन किसी ने इस अन्याय को रोकने की कोशिश नहीं की | इस मौके पर कृष्णा ने कसम खायी की वह वहां मोजूद उन  सब लोगों के प्राण हर लेंगे जिन्होनें द्रौपदी की इस बेईज्ज़ती का नज़ारा देखा और मदद नहीं की | कृष्ण का गुस्सा पांडवों को भी मार देता लेकिन क्यूंकि वह द्रौपदी का सुहाग थे वह बच गए | पांडवों के इलावा एक और शख्स जो उनके गुस्से से बच गया वह थे क्रिपाचार्य | क्यूंकि जब द्रौपदी सबसे मदद मांग रही थीं तब क्रिपाचार्य ने उन्हें एक ऊँगली उठा के इशारा किया की सबसे मदद मांगने के बजाय सिर्फ उस एक शक्ति से मदद मांगो | द्रौपदी झट उनका इशारा समझ गयीं और अपने को कृष्ण को समर्पित कर दिया | 

       “हमें चिंता नहीं उनकी , उन्हें चिंता हमारी है 

        हमारे प्राणों के रक्षक सुदर्शन चक्रधारी है”


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