अनिष्टकारी विद्या-मूठ

||ॐ हडुमान हठीला|| दे वज्र का ताला|| ||तो हो गया उजाला|| हिन्दू का देव|| ||मुसमान का पीर|| वो चलै अनरथ|| ||रैण का चलै|| वो चलै पाछली रैण को चलै|| ||जा बैठे वेरी की खाट|| दूसरी घडी|| ||तीसरी ताली वैरी की खाट मसाण में||

Comments
आमच्या टेलिग्राम ग्रुप वर सभासद व्हा. इथे तुम्हाला इतर वाचक आणि लेखकांशी संवाद साधता येईल. telegram channel