राम नाम रस पीजे मनुवाँ राम नाम रस पीजै ।
तज कुसंग सत्संग बैठ नित हरि चर्चा सुन लीजै ॥
काम क्रोध मद लोभ मोह को बहा चित्त से दीजै ।
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर ताहिके रंग में भीजै ॥

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