हरि भजन बिना सुख शान्ति नहीं
हरि नाम बिना आनन्द नहीं

जप ध्यान बिना संयोग नहीं
प्रभु दरश बिना प्रज्ञान नहीं

दया धर्म बिना सत्कर्म नहीं
भगवान बिना कोई अपना नहीं
हरि नाम बिना परमात्मा नहीं

प्रेम भक्ति बिना उद्धार नहीं
गुरु सेवा बिना निर्वाण नहीं

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