हमें नन्द नन्दन मोल लियो
मोल लियो, मोल लियो ||

जम की भाँति
काठि मुख रायो
अभय अजात कियो ||

सब कोउ कहत
गुलाम श्याम को
सुनत सिरात हियो ||

सूरदास प्रभुजू को चेरो
(मैं तो) जूठन खाय जियो ||

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