भजो रे मन, राम-नाम सुखदाई॥
राम-नामके दो अक्षरमें, सब सुख शान्ति समाई॥ भजो०॥१॥
रामको नाम लेत मुखसे, भवसागर तर जाई॥ भजो०॥२॥
राम-नाम भज ले मन मूरख, बनत-बनत बन जाई॥भजो०॥३॥
राम-नामके कारण बन गई, पागल मीरा बाई॥भजो०॥४॥
गणिका गिध्द अजामिल तारे, तारे सदन कसाई॥भजो०॥५॥
जूठे बेरनमें शबरीके, भर गई कौन मिठाई॥भजो०॥६॥
मीठे समझके ना प्रभु खाये,प्रेमकी थी अधिकाई॥भजो०॥७॥

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