कोह के हों बार-ए-ख़ातिर गर सदा हो जाइए
बे-तकल्लुफ़ ऐ शरार-ए-जस्ता क्या हो जाइए
  
बैज़ा-आसा नंग-ए-बाल-ओ-पर है ये कुंज-ए-क़फ़स
अज़-सर-ए-नौ ज़िंदगी हो गर रिहा हो जाइए

---
वुसअत-ए-मशरब नियाज़-ए-कुल्फ़त-ए-वहशत असद
यक-बयाबाँ साया-ए-बाल-ए-हुमा हो जाइए

Comments
आमच्या टेलिग्राम ग्रुप वर सभासद व्हा. इथे तुम्हाला इतर वाचक आणि लेखकांशी संवाद साधता येईल. telegram channel