बहुत सही ग़मे-गेती[1], शराब कम क्या है?
ग़ुलामे-साक़ी-ए-कौसर[2] हूँ, मुझको ग़म क्या है?

तुम्हारी तर्ज़-ओ-रविश[3], जानते हैं हम क्या है
रक़ीब पर है अगर लुत्फ़[4], तो सितम[5] क्या है?

कटे तो शब कहें, काटे तो सांप कहलावे
कोई बताओ, कि वो ज़ुल्फ़े-ख़म-ब-ख़म[6] क्या है?

न हश्रो-नश्र[7] का क़ायल न केशो-मिल्लत[8] का
ख़ुदा के वास्ते, ऐसे की फिर क़सम क्या है?

सुख़न[9] में ख़ामए[10] ग़ालिब की आतश-अफ़शानी[11]
यक़ीं है हमको भी, लेकिन अब उसमें दम क्या है?

शब्दार्थ:
  1. दुनिया का दुःख
  2. खुदा का दास
  3. तोर-तरीका
  4. कृपा
  5. बुराई
  6. बालों का उलझाव
  7. क़यामत और उसका दंड
  8. धर्म और क़ौम
  9. शायरी
  10. क़लम
  11. आग बरसाना
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