चाक[1] की ख़्वाहिश, अगर वहशत ब-उरियानी[2] करे
सुबह के मानिन्द ज़ख़्म-ए-दिल गिरेबानी[3] करे

जल्वे का तेरे वह आ़लम है कि गर कीजे ख़याल
दीदा-ए दिल को ज़ियारत-गाह-ए[4] हैरानी करे

है शिकस्तन[5] से भी दिल नौमीद[6] या रब कब तलक
आब-गीना[7] कोह[8] पर अ़रज़-ए गिरां[9]-जानी करे

मै-कदा गर चश्म-ए-मस्त-ए-नाज़[10] से पावे शिकसत
मू-ए-शीशा[11] दीदा-ए-साग़र[12] की मिज़ग़ानी[13] करे

ख़त्त-ए-आ़रिज़[14] से लिखा है, ज़ुल्फ़ को उल्फ़त ने अ़हद[15]
यक-क़लम मंज़ूर है, जो कुछ परेशानी करे

शब्दार्थ:
  1. चीर कर निकलना
  2. नग्नता में
  3. कमीज़ की गरदन
  4. हैरानी का मकबरा
  5. हार
  6. ना-उम्मीद
  7. काँच
  8. पहाड़
  9. ज्यादा ताकत का दावा
  10. मदभरी आँखे
  11. शीशे पर तरेड़
  12. प्याले की आँख
  13. पलक बनना
  14. गाल के रोयें
  15. फैसला
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