जुनूं[1] तोहमत-कशे-तस्कीं[2] न हो, गर शादमानी[3] की
नमक-पाशे-ख़राशे-दिल[4] है लज़्ज़त[5] ज़िन्दगानी की

कशाकशा-ए-हस्ती[6] से करे क्या सई-ए-आज़ादी[7]
हुई ज़ंजीर, मौज-ए-आब[8] को, फ़ुर्सत[9] रवानी[10] की

पस-अज़-मुर्दन[11] भी दीवाना ज़ियारत-गाह-ए-तिफ़लां[12] है
शरार-ए-संग[13] ने तुरबत[14] पे मेरी गुल-फ़िशानी[15] की

शब्दार्थ:
  1. उन्माद
  2. जिस पर आराम का आरोप लगे
  3. खुशी मनाना
  4. दिल के जख्म पर नमक छिड़कना
  5. मजा
  6. अस्तित्व,जीवन के झमेले
  7. आजाद होने की इच्छा
  8. पानी की लहर
  9. आराम से
  10. बहना
  11. मरने के बाद भी
  12. बच्चों के लिए मज़ार
  13. पत्थर से निकली चिंगारी
  14. कब्र
  15. गुलाब की वर्षा
Comments
आमच्या टेलिग्राम ग्रुप वर सभासद व्हा. इथे तुम्हाला इतर वाचक आणि लेखकांशी संवाद साधता येईल. telegram channel