जर्मनी में जीससेन और  ब्रैडफोर्ड विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिको की एक टोली ने भी इस ड्रेस पर क्षोध की |उनके मुताबिक ये रंग को लेकर मतभेद चमक और 'डेलाइट लोकस के प्रभाव की वजह से हो रहा है |एक और तीसरे शोध में जो की नेवाडा विश्वविद्यालय के डॉ माइकल वेबस्टर की देखरेख में हुई थी उसमें ये पता चला है की ये ड्रेस का रंग बदलाव हमारी आँखों का प्राकृतिक रौशनी की ओर प्रतिक्रिया की वजह से भी हो सकता है |
Comments
आमच्या टेलिग्राम ग्रुप वर सभासद व्हा. इथे तुम्हाला इतर वाचक आणि लेखकांशी संवाद साधता येईल. telegram channel