माहिम किला, मुम्बई में माहिम क्षेत्र में बसा हुआ है। रणनीतिक नजरिये से माहिम समुद्र के किनारे पर स्थित, दक्षिण में वर्ली, उत्तर में बांद्रा और पूर्व में माहिम पर निगरानी करता है। किले के मूल अब तक स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह एक रणनीतिक स्थान पर स्थित है जो हमेशा से विवादास्पद रही है। किले प्रशासनिक उपेक्षा, मलिन बस्तियों का अतिक्रमण, और ज्वार कटाव के जोखिम से पीड़ित, जीर्णता में है।
१५१६ में पुर्तगाली कमांडर डॉम जोआओ दी मुनोय माहिम क्रीक में घुसे और माहिम किले के कमांडर को हराया। किला, पुर्तगाली और अली शाह, गुजराती शासक के बीच लगातार मुठभेड़ का स्थल था, पहले माहिम के द्वीप 1534 में पुर्तगालियों ने गुजरात के बहादुर शाह से विनियोजित किया गया था। १६६१ में पुर्तगालियों ने माहिम का द्वीप इंग्लैंड के राजा चार्ल्स द्वितीय को दहेज़ के रूप में दिया। जब अंग्रेजो को किले पर नियंत्रण मिला, तब १६८४ में सर थॉमस ग्रान्थम ने इसे मजबूत किया और यह पुर्तगाली और बाद में मराठा हमलो के खिलाफ रणनीतिक पहरे की मीनार के काम आया। १७७२ में पुर्तगालियों ने इस किले पर हमला करने की कोशिश की, लेकिन अंग्रेजी तोफ के गोलों से पीछे हटाया गया। माउंट मेरी बेसिलिका को इस हादसे में हानि पहुँची। ऐतिहासिक खातों के अनुसार, किलेपर उस समय 100 सैनिकऔर 30 तोपे थी। किले पर प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध के दौरान अंग्रेजों ने कब्जा कर लिया था। उपनगरीय इलाके और शहर को जोड़ने वाले माहिम सेतु पर किला बसा है। किले पर भारी मलिन बस्तियों से अतिक्रमण हो रहा है, और किले के कुछ हिस्सो में
ज्वार कटाव और उपेक्षा के कारण दरारे पड़ी है। हालांकि किले को ग्रेड वन विरासत संरचना माना गया है,लेकिन इसके हिफाजत के लिए कोई भी कदम नहीं उठाये गए। बड़े पत्थर रेत पर बिखरे हुए है और दरारे तीन मीटर (१५ फ़ीट) ऊँची दिखाई देती है। किले की जिम्मेदारी का मामला राज्य सरकार और बृहन्मुंबई नगर निगम के बीच में घसीट रहा है हालांकि किला राज्य सरकार की ज़मीन के तहत आता है। २००४ में स्थानिय अधिकारियों द्वारा मलिन बस्ती का अतिक्रमण न हटाये जाने की वजह से रुपये पाँच लाख लौटने पड़े। बाद में, 2008 में, जयराज पाठक, नगरआयुक्त ने, किले के बदलाव का प्रस्ताव किया था।