मुम्बई किला (कासा दा ओर्ता) मुम्बई शहर में सबसे पुरानी रक्षात्मक संरचनाओं में से एक है। यह महल एक पुर्तगाली रईस गार्सिया डे ओर्ता द्वारा बनाये गये मेनर हाउस की जगह पर अंग्रेजों द्वारा बनाया गया था। १५५४ से १५७० के बीच ओर्ता ने यह मुम्बई का द्वीप पोर्तुगल के राजा से किराये पर लिया था।
यह महल दक्षिण में कोंकण क्षेत्र से स्थानीय नीले कुर्ला पत्थर और लाल लेटराइट पत्थर का बनाया गया था। १६६२ में जब यह द्वीप अंग्रेजों हाथों लगा, तब १६६५ में ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस महल पर कब्ज़ा कर लिया। अगले दस सालों में उन्होंने मेनर के आसपास रक्षात्मक संरचना का निर्माण किया। उसी समय नए शहरी केंद्र के चारो ओर एक दीवार बनायीं जा रही थी। हालाकि यह दीवार १८६५ में तोड़ी गयी क्योंकि शहर तेजी से बढ़ रहा था, इसके अवशेष आज भी कुछ इलाको में दिखाई देते है।
यह मूल पुर्तगाली महल के बचे कूचे अवशेषों के आधार पर इतिहासकार मेनर का मूल स्थान पता कर रहे है। मेनर के दो द्वार आईएनएस आंग्रे, दक्षिण मुंबई में एक नौसेना स्टेशन के भीतर स्थित हैं। वहा, पुर्तगालि यूग की एक धूपघड़ी भी मौजूद है। ये धूपघड़ी एक दिन के 12 घंटे नहीं दिखती, बल्कि कुछ समय के लिए उस समय के लोगों को महत्वपूर्ण लगने वाला समय दिखती है। महल के भीतर मुख्य भवन गवर्नर हाउस है, जिसमें गेराल्ड अङ्गिएर, बंबई के पहले गवर्नर ने रहने के लिए इस्तेमाल किया था। बाद में दो शताब्दियों में यह निवास पहले परेल और बाद में मालाबार हिल में ले जाया गया। मौजूदा, इमारत में पश्चिमी नौसेना कमान का ध्वज अधिकारी कमांडर-इन-चीफ रहता है।